Tuesday, March 10, 2009

तिरसठ शलाका पुरुष

दुनिया के सर्वाधिक प्राचीन जैन धर्म और दर्शन को श्रमणों का धर्म कहते हैं। कुलकरों की परम्परा के बाद जैन धर्म में क्रमश: चौबीस तीर्थंकर, बारह चक्रवर्ती, नौ बलभद्र, नौ वासुदेव और नौ प्रति वासुदेव मिलाकर कुल 63 पुरुष हुए हैं। 24 तीर्थंकरों का जैन धर्म और दर्शन को विकसित और व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

चौबीस तीर्थंकर

चौबीस तीर्थंकर : (1) ऋषभ, (2) अजित, (3) संभव, (4) अभिनंदन, (5) सुमति, (6) पद्मप्रभ, (7) सुपार्श्व, (8) चंद्रप्रभ, (9) पुष्पदंत, (10) शीतल, (11) श्रेयांश, (12) वासुपूज्य, (13) विमल, (14) अनंत, (15) धर्म, (16) शांति, (17) कुन्थु, (18) अरह, (19) मल्लि, (20) मुनिव्रत, (21) नमि, (22) नेमि, (23) पार्श्वनाथ और (24) महावीर।